Nepal Democracy नेपाल में लोकतंत्र को हटाकर राजशाही लाने का आंदोलन तेज
Nepal Democracy नेपाल में विगत चार साल पहले राजशाही शासन हटाकर सर्वसहमति से सर्व धर्म लोकतंत्र की स्थापना की गई थी लेकिन कुछ राजतांत्रिक लोगों को यह शासन पसंद नहीं आया और नेपाल के पूर्व महाराजा ने मिलकर वापस राजशाही शासन को लाने का आंदोलन तेज कर दिया है परंतु नेपाल की सेना ने ओर सरकार ने मिलकर इस आंदोलन का पुरजोर तरीके से विरोध शुरू कर दिया है ओर इस आंदोलन को कुचलने का प्रयास किया जा रहा है ।
Nepal Democracy भास्कर और पत्रिका की न्यूज के अनुसार आपको यह खबर प्रसारित की जा रही है । नेपाल की सड़कों पर राजशाही की बहाली ओर हिन्दू राष्ट्र की मांग को लेकर उठती आवाजें अब सरकार के निशाने पर है .बीते पांच दिनों से जारी यह आंदोलन न सिर्फ तेजी से फैल रहा है बल्कि सत्ता के गलियारों में बेचैनी भी बढ़ रही है ।खास बात यह है कि यह आंदोलन उस दिन शुरू हुआ देश अपनी लोकतांत्रिक पहचान गणतंत्र दिवस का जश्न मना रहा था . लेकिन जिस तरह से सड़कों पर भीड़ उमड़ी , मोमबत्ती जली ओर पूर्व राजा बीरेंद्र सिंह के परिवार की हत्या की बरसीं पर लोगो ने श्रद्धांजलि दी उसने यह साफ कर दिया है कि एक बड़ा वर्ग मौजूदा व्यवस्था से नाखुश है ।
Nepal Democracy अब प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार ने इस आंदोलन को कुचलने की खुली छूट देकर तैयारी कर ली है . काठमांडू के रिंग रोड क्षेत्र को दो महीने के लिए प्रतिबंधित कर दिया है वही दूसरी ओर राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के दो शीर्ष नेता रविन्द्र मिश्र ओर धवल शमशेर राणा सरकार की कार्रवाई से बचने के लिए भूमिगत हो चुके है। उनके मोबाइल नंबर बंद है और वे किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में नहीं दिखे ।
मिश्र ओर राणा के अलावा आंदोलन में शामिल कई ओर भी नेता गिरफ्तारी के डर से भूमिगत हो चुके है इन दोनों समेत कुल 61 लोगों पर राज्य के खिलाफ अपराध अशांति फैलाने ओर संगठित अपराध जैसे गंभीर आरोपों में केस दर्ज कर दिया गया है ।
पूर्व राजकुमारी व उनके बेटे आंदोलन के दौरान सक्रिय
काठमांडू में रविवार को नारायणहिति राजदरबार हत्याकांड की 23 वीं बरसी पर राजशाही समर्थकों मोमबत्तियां जलाकर दिवगंत शाही परिवार को श्रद्धांजलि दी । इस कार्यक्रम की खास बात पूर्व राजकुमारी हिमानी शाह और उनके पुत्र हृदयेंद्र की मौजूदगी रही । यह पहली बार है जब आंदोलन के दौरान शाही परिवार की सक्रियता सार्वजनिक रूप से सामने आई है ।इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम के दौरान नेपाल की पूर्व राजकुमारी के साथ हजारों की संख्या में राजशाही परिवार की सक्रियता सार्वजनिक रूप से सामने आई ।
राजकुमारी को समर्थकों संघ सार्वजनिक रूप से श्रद्धांजलि कार्यक्रम में शामिल होकर यह संदेश दिया कि जनता का एक बड़ा वर्ग अब भी राजशाही में आस्था रखता है ।
आंदोलन के खिलाफ देश की तीनों बड़ी पार्टी एकजुट
देश की तीनों प्रमुख राजनीतिक दलों नेपाली कांग्रेस, सीपीएन – यूएमएल व माओवादी केंद्र ने इसका मिलकर आंदोलन का मुकाबला करने का ऐलान किया है सोमवार को सिंगदारबार स्थित प्रधानमंत्री कार्यकाल में हुईं बैठक में पीएम ओली नेपाली कांग्रेस प्रमुख शेर बहादुर देउबा व माओवादी नेता पुष्पकमल दहल प्रचंड ने इस मुद्दे पर संयुक्त रुख अपनाने पर सहमति जताई । तीनों दलों ने यह स्पष्ट किया कि वे संविधान लोकतंत्र विरोधी आंदोलन को सफल नहीं होने देंगे।
पूर्व नरेश की काठमांडू से दूरी झापा में बना रहे रणनीति
पूर्व नरेश नेपाल ज्ञानेन्द्र शाह काठमांडू से दूरी बनाए हुए है वे राजधानी से दूर झापा के दमक में मिनी पैलेस में रह रहे है जानकारी के मुताबिक वह दो सप्ताह वही रहेंगे। सूत्रों का कहना है कि वे निजी स्तर पर राजनीतिक मुलाकाते कर रणनीति बना रहे है हालांकि उनके सचिवालय ने किसी भी औपचारिक राजनीतिक कार्यक्रम से इनकार किया है प्रेस सचिव फणींद्र पाठक ने कहा यह यात्रा पूर्व निर्धारित है वे वर्षो से झापा जाते रहे है ।