MBBS Dummy Candidate : राजस्थान में आज एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है जो दूसरों की जगह परीक्षा देकर उनको डॉक्टर बनवाते थे और बदले में 60 लाख रुपए की मोटी रकम वसूलते थे। यह गिरोह पिछले 10 साल में कई लोगों को फर्जी डॉक्टर बनवा चुका है।
जयपुर मैं नीट यूजी में डमी कैंडिडेट बैठक एग्जाम पास करने के मामले में दो डॉक्टर और एक मेडिकल स्टूडेंट को गिरफ्तार कर लिया है। एग्जाम पास करने के लिए 60 लाख रुपए में सौदा हुआ था मामला जयपुर के चौमूं थाने का है।
डीसीपी (वेस्ट) अमित कुमार ने बताया कि फर्जीवाड़े की सूचना मिलने पर एफआईआर दर्ज कर एसीपी चौमूं अशोक चौहान ने जांच शुरू की थी। पुलिस ने शुक्रवार को कार्रवाई करते हुए डॉक्टर सुभाष सैनी निवासी जेतपुरा चौमूं, सचिन गोरा पुत्र हरदेव गौरा और अजीत गोरा पुत्र रामपाल गोरा निवासी लक्ष्मी विहार कचोलिया चौमू को अरेस्ट किया।
आरोपी सचिन गोरा वर्तमान में एमबीबीएस फाइनल ईयर एम्स जोधपुर का स्टूडेंट है। अजीत गौरा जगन्नाथ पहाड़िया मेडिकल कॉलेज भरतपुर से एमबीबीएस पास करने के बाद इंटर्नशिप कर रहा है। वहीं डॉक्टर सुभाष सैनी काॅमन हेल्थ ऑफिसर यानी CHO के पद पर कुचामन नागौर में पदस्थापित है।
MBBS Dummy Candidate 60 लाख की ऐवज में बना डमी
डीसीपी वेस्ट अमित कुमार ने बताया कि सचिन गोरा ने साल 2020 में आयोजित नीट यूजी को पास करने के लिए डॉक्टर सुभाष सैनी से संपर्क किया था। डॉक्टर सुभाष सैनी के जरिए 60 लाख रुपए में एग्जाम पास करवाने का सौदा तय हुआ था। जांच में सामने आया है कि सचिन की जगह अजीत गोरा ने डमी बैठकर एग्जाम पास कराया था। एग्जाम में 667 अंक हासिल हुए थे। इसके लिए नीट में सचिन गोरा की जगह अजीत गोरा की फोटो लगाकर आवेदन फॉर्म भरा था। सचिन गौरा का एमबीबीएस के लिए जोधपुर एम्स में दाखिला हो गया था। सचिन गोरा ने कभी भी नीट एग्जाम दिया ही नहीं था। फिलहाल पकड़े गए दो डॉक्टरों और एक मेडिकल स्टूडेंट से पूछताछ जारी है।
डीसीपी अमित कुमार ने बयान दिया कि साल 2013 में भी आरोपी सुभाष सैनी ने नीट यूजी में पास करवाने की ऐवज में 65 लाख लिए थे। प्रकरण में छह आरोपियों को अरेस्ट किया गया था।
कैसे हुआ मामले का खुलासा
15 मई को चौमू निवासी 45 साल के व्यक्ति ने रिपोर्ट दर्ज करवाई थी कि एक व्यक्ति फर्जी तरीके से 5 साल पहले डॉक्टर बन गया था। ऐसा डॉक्टर जिसने फर्जी एग्जाम पास किया हो वह मरीज के स्वास्थ्य से कितना खिलवाड़ करेगा इसलिए इस मामले का खुलासा कर उनको गिरफ्तार किया जाए। ऐसा परिवाद चोमू के एक व्यक्ति ने पेश किया था पुलिस की जांच के दौरान पिछले 15 दिनों मे एनटीए और संबंधित संस्थाओं से रिकॉर्ड लिया गया था परमिशन लेटर में भी सचिन की जगह अजीत गोरा के फोटो लगाकर एग्जाम देना सामने आया था। जगन्नाथ पहाड़िया मेडिकल कॉलेज भरतपुर और एम्स जोधपुर मेडिकल कॉलेज से भी आवश्यक रिकॉर्ड मांगा गया था। मामले के खुलासे में भरतपुर और जोधपुर पुलिस ने भी मदद की थी।
राजस्थान में अभी तक शिक्षक भर्ती, पुलिस भर्ती जैसे छोटे एग्जाम में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया था और वर्तमान सरकार ने SOG का गठन करते हुए बड़ी संख्या में डमी कैंडिडेट को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेजा था ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई फर्जी तरीके से डॉक्टर बना है। वह भी 2020 में परीक्षा देकर 5 साल पहले के मामले का खुलासा होने की वजह से आरोपी को भनक तक नहीं लगी थी इसलिए पुलिस ने गुपचुप तरीके से दस्तावेज खंगालते हुए पहले साक्ष्य जुटाए और बाद में आरोपियों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार किए गए आरोपियों से पुलिस लगातार पूछताछ कर रही है पूछताछ में और ज्यादा खुलासे होने की संभावना है। अभी तक प्रारंभिक पूछताछ में केवल दो व्यक्तियों को फर्जी तरीके से डॉक्टर बनाने की बात सामने आई है। हो सकता है कि आने वाले दिनों में पुलिस और कोई नया खुलासा कर दें।