Musk Deer India हिरण की नाभि में बनने वाली कस्तूरी के बारे में जाने क्या ये सच है

By Global Public School Kalpi

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Musk Deer India हिरण की नाभि में बनने वाली कस्तूरी के बारे में जाने क्या ये सच है

Musk Deer India हमारे मारवाड़ी में एक कहावत है कि ” मृग नाभ बसे वो कस्तूरी ना ही मिर्गे को वेरा वन वन फिर भटकते नहीं खुद का वेरा”” अर्थात हिरण की नाभि में कस्तूरी होती है ओर जब उसे एक विशेष टाइम पर उसकी सुगंध आती है तो वो जंगल में उस कस्तूरी को खोजने के लिए बार बार दौड़ता हुआ मदमस्त हो जाता है परंतु उसको पता नहीं कि वो कस्तूरी उसी के पास ही है । यह कस्तूरी नर हिरण के अंदर होती है जानते है ये कैसे बनती है ओर क्यों ओर इसे क्या किया जाता है ।

कस्तूरी के बारे में हम सभी लोगों ने जरूर सुना है क्या आपको मालूम है कि ये कस्तूरी कहा होती है कैसे बनती है ओर इसका क्या इस्तेमाल है सुगंध की दुनिया में ये बेशकीमती चीज मानी जाती है कस्तूरी वयस्क नर हिरण में पाई जाती है ये हिरण के नाभि के पास एक थैली में होती है अंडाकार 3- 7.5 सेंटीमीटर चौड़ी होती है इसकी महक हिरण को दीवाना बनाती रहती है और वे समझ ही नहीं पाता कि ये सुगंध कही ओर से बल्कि उसके अंदर से ही निकलकर आ रही है मतवाला होकर वो इसको सारे वन में ढूंढता रहता है ।

Musk Deer India कस्तूरी केवल नर हिरण में ही पाई जाती है ये मादा हिरण में नहीं होती जब हिरण युवावस्था में होता है तो ये ज्यादा मात्रा में होती है एक हिरण से करीब 25 से 30 ग्राम कस्तूरी मिलती है हालांकि इस चक्कर में हिरण का खूब शिकार भी किया जाता है कस्तूरी मृग को हिमालयन मस्क डियर के नाम से जाना जाता है इसका वैज्ञानिक नाम मास्कस क्राइसोगो है।

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कस्तूरी को दुनिया का बेहतरीन और बहुमूल्य सुगंधित पदार्थ माना जाता है कहा जाता है कि पुरानी सर्दी ,जुकाम,निमोनिया इसके सूंघने से नाक से खून भी बहने लगता है कस्तूरी का इस्तेमाल खाद्य पदार्थों में स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है साथ ही सुगंध और परफ्यूम के क्षेत्र में भी कस्तूरी एक तीक्ष्ण गंध होती है ये नर कस्तूरी मृग के पीछे गुदा क्षेत्र में स्थित एक ग्रंथि से प्राप्त होती है इसे प्राचीन काल से इत्र के लिए एक लोकप्रिय रासायनिक पदार्थ के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है ये दुनिया भर के सबसे महंगे पशु उत्पादों में एक है वैसे कस्तूरी का व्यापार अब दुनिया में अवैध हो चुका है ।

19 वीं सदी के अंत तक प्राकृतिक कस्तूरी का इस्तेमाल इत्र में बड़े पैमाने पर किया जाता रहा है हालांकि अब इसे कृत्रिम तौर पर भी बनाया जाने लगा है इसके इस्तेमाल से चीन में पारंपरिक दवाएं बनाई जाती है कस्तूरी हिरण नेपाल,भारत,पाकिस्तान,तिब्बत,चीन,साइबेरिया ओर मंगोलिया में पाए जाते है दुखद पक्ष ये है कि कस्तूरी को प्राप्त करने के लिए हिरण को मार डाला जाता है ।

Musk Deer India हालांकि कस्तूरी जैसी गंध दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया की कस्तूरी बतख ,कस्तूरी बैल,कस्तूरी बीटल,अफ्रीकी सिविट,कस्तूरी कछुआ ,सेंट्रल अमेरिका के मगरमच्छ ओर कई अन्य जानवरों में भी पाया जाता है मगरमच्छों में कस्तूरी ग्रंथि की दो जोड़ी होती है एक जोड़ी जबड़े के किनारे पर ओर दूसरी क्लोका में होती है कस्तूरी ग्रंथियां सांपों में भी पाई जाती है ।

उत्तराखंड राज्य में पाए जाने वाले कस्तूरी मृग प्रकृति के सुंदरतम जीवो में एक है कस्तूरी का उपयोग औषधि के रूप में दमा,मिर्गी,निमोनिया आदि की दवाई बनाने में होती है कस्तूरी से बनने वाला इत्र अपनी मदहोश कर देने वाली खुशबू के लिए प्रसिद्ध है । कस्तूरी मृग का रंग भूरा होता है इस भूरी त्वचा पर रंगीन धब्बे होते है इस मृग के सींग नहीं होते है नर की बिना बालों वाली पुंछ भी होती है  इसके पिछले पैर अगले पैर की तुलना में लंबे होते है इसके जबड़े में दो दांत पीछे की ओर झुके होते है इन दांतों का उपयोग यह अपनी सुरक्षा और जड़ी बूटियों को खोदने में करता है ।

 

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